मेरी कविताएँ
Thursday, August 19, 2010
प्रेमिकाएं
जब सूरज थक जायेगा
चांद उतर आयेगा नीचे
पगडंडियां छोड़ देंगी हमें
हमारा साथ
थोड़ी दूरी के बाद
याद आयेंगी हमें
हमारी प्रमिकाएं।
(4.3.96)
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