Friday, September 10, 2010

मां

मैंने कहा-दुख
और मां का चेहरा म्लान हो गया
शिथिल पड़ने लगीं देह की नसें
कहां रही ताकत
जवान गर्म खून की
दौड़ता फिरे जो
अश्वमेध के घोड़े-सा
मैंने कहा-मां
और उसकी आंखों में आंसू आ गए।

(9.7.01) 
प्रकाशन:  आजकल, सितंबर 2007; आज समाज, दिल्ली, 8. 2. 2010.

1 comment:

  1. ma ajsj hi hai.....apki ma meri ma hum sabhi ki ma sjrf maaaaaa hi hai ......or kuch nahi.

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