Wednesday, September 1, 2010

चिंतित हैं कुत्ते

मनुष्यों के जीवन-सा
वैभव है कुत्तों का
आदिम इतिहास है उनका भी
धरती का सबसे वफादार  जीव था
जो घूमता था
हमारी झोंपड़ियों के गिर्द
चमड़ी की  फिराक में
शान्त करने को क्षुधा

तब टांगें थी
दौड़ने की कला थी
पकड़ सकता था
जंगली जानवर

शिकारियों से भी तेज
गंध सूंघने की ताकत थी
सूंघ सकता था स्वयं शिकारी को
सख्त से सख्त दांत थे
चीथने को मांस के लोथड़े
हड्डियों से अलग करने की तरकीब थी
लंबी-टेंढ़ी पूंछ थी
हिलाया करता था जिसे
मालिक की वफादारी में
हर फेंके गये टुकड़े के एवज में
उसके पास

इधर चिंतित है कुत्ते
कि अपना लिए धीरे-धीरे
सारे गुण मनुष्यों ने
और बेकार होने लगी है
उसकी अपनी प्रजाति

हुआ है कुछ अजीब-सा मजाक
कि आ गई हैं नस्लें नई-नई
दुमकटे-दुमदबे कुत्तों की
अवकाश के क्षण में बैठा कुत्ता
सोचता है भारी मन से
कि करे इजाद नयी चीज की
दिखे जो ठीक-ठीक पूंछ-सी
हिला-डुला सके
मालिक की धड़कन से भी तेज

और सोच रहा है मनुष्य
बेकार बैठा है कुत्ता
निठल्लापन सिखाएगा पूरी कौम को
फैलाएगा अलग से
वायरस रेबीज का
बेहतर है इससे
भलाई है इसमें
मार दो इसे
चला दो गोली अभी।
( 22. 1. 97)

2 comments:

  1. इधर चिंतित है कुत्ते
    कि अपना लिए धीरे-धीरे
    सारे गुण मनुष्यों ने
    और बेकार होने लगी है
    उसकी अपनी प्रजाति
    हुआ है कुछ अजीब-सा मजाक
    कि आ गई हैं नस्लें नई-नई
    दुमकटे-दुमदबे कुत्तों की
    अवकाश के क्षण में बैठा कुत्ता
    सोचता है भारी मन से
    कि करे इजाद नयी चीज की
    दिखे जो ठीक-ठीक पूंछ-सी
    हिला-डुला सके


    kyaa khoob kahi bhai. khub bhigo - bhigi ke mara hai. parantu kya isse bhi unhe kuchh samajh aayegi? hame to ab bhi sandeh hai . khair aapne apna kaam to bakhubi kiya hai , isme koi shak nahin. Badhai bhaii dher sara badhi is article ke liye. is tewar ke liye. hame bhi apne saath hi samajhiye. Thanks, Nice...

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
    जन्माष्टमी पर्व के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनाये...
    आज आपकी एक लाइना चिट्ठी चर्चा समयचक्र पर
    जय श्रीकृष्ण.

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