Tuesday, September 7, 2010

चांद

आसमान को तका
और बर्फ-सी चमचम
सफेद दरांती की तरह
उतर आया
फेंफड़ों से होकर पूरे जिस्म में
जाना
दूज का चांद था।
(7.6.97)

1 comment:

  1. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!

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