बहुत खूब!अपनी जमीन, अपना समाज अपनी मूल पहचान की मेरे दोस्त किसके पास पहचान और चिंता है! बधाई कि अपने यह कविता की और लगाई. *musafir baitha
बहुत खूब!अपनी जमीन,
ReplyDeleteअपना समाज
अपनी मूल पहचान की मेरे दोस्त किसके पास पहचान और चिंता है! बधाई कि अपने यह कविता की और लगाई.
*musafir baitha